विज्ञान के चमत्कार
1. प्रस्तावना :- आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। यह कथन पूर्णतः सत्य है। आवश्यकता से आविष्कार का जन्म होता है। आदिकाल से लेकर आज तक मनुष्यों ने अनेक आविष्कार किए, जिनसे संसार का नक्शा ही बदल गया। विज्ञान के कारण हम नित नई वस्तुओं, सेवाओं का उपभोग कर रहे हैं। हमारा जीवन सुविधाजनक, आरामदायक बन गया है। विज्ञान से शायद ही कोई अछूता हो। विज्ञान हमारे लिए वरदानसिद्ध हुआ है।
2. मनोरंजन के क्षेत्र में :- मनोरंजन की आधुनिक सुविधाएँ विज्ञान की देन हैं। सिनेमा, टी.वी., रेडियो, वीडियोगेम आदि , द्वारा हम अपना मनोरंजन कर सकते हैं।
3. चिकित्सा के क्षेत्र में :- चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान की देन सराहनीय हैं। असाध्य व खतरनाक रोगों पर नियंत्रण हो गया है। हृदय प्रत्यारोपण, किडनी का प्रत्यारोपण आदि संभव हो गया है। टेस्टट्यूब बेबी से निःसंतान दंपतियों के आँचल में भी खुशियाँ आ गई हैं। विज्ञान ने अंधे को आँखें, बहरे को कान, गूंगे को वाणी प्रदान की है।
4. कृषि के क्षेत्र में :- हरित क्रांति विज्ञान की देन है। विज्ञान ने कृषि के क्षेत्र में कीटनाशक दवाइयाँ, उर्वरक, कृषि योग्य यंत्र, नलकूप आदि प्रदान किए हैं, जिनसे खाद्यान्न उत्पादन कई गुना बढ़ गया है।
5. यातायात के क्षेत्र में :- संचार साधनों व यातायात साधनों के कारण दुनिया बहुत छोटी-सी बन गई है। आज कम समय मेंएक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचा जा सकता ।
6. अंतरिक्ष में विज्ञान :- वैज्ञानिकों ने आर्यभट्ट, भास्कर, रोहिणी, इनसेट क्रम के उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित कर अपनी श्रेष्ठता प्रतिपादित कर दी है।
7. दैनिक जीवन में उपयोग :- व्यक्ति सुबह से लेकर रात्रि में सोने तक विज्ञान द्वारा दी गई वस्तुओं का उपभोग करता है। गैस का चूल्हा, टी.वी., फ्रिज, वाशिंग मशीन आदि विज्ञान की ही देन है।
8. विज्ञान के अभिशाप :- विज्ञान वरदान के साथ अभिशाप भी अणुबम, परमाणु बम, अस्त्र-शस्त्र, बारूद आदि विध्वंसकारी तत्वों के कारण हम आज मौत के कगार परखड़े हैं।विज्ञान ने हमें मनोरंजन के अनेक साधन दिए हैं जैसे-फिल्म, टी.वी. आदि, किन्तु यदि हम इनसे हिंसा, सेक्स आदि सीखते हैं, इनका अंधानुसरण करते हैं तो वास्तव में इससे नैतिकता, मानवता खतरे में पड़ जाएगी। इसलिए विज्ञान को अभिशाप कहा गया है।
9. उपसंहार :- – वास्तव में, विज्ञान बरदान भी है और अभिशाप भी है। यदि हम इनका दुरुपयोग करते हैं, तो निश्चित ही विज्ञान उ अभिशाप है। यदि हम उन साधनों का सदुपयोग करते हैं, तो विज्ञान वरदान है। अतः सब कुछ हमारे विवेक पर निर्भर है कि क हम विज्ञान को वरदान सिद्ध करें या अभिशाप ।